बिहार के दरभंगा जिला के एक छोटे से गाँव में पले-बढ़े 21 वर्षीय रौशन कुमार ने अपने अनोखे स्टार्टअप deWall Ads के ज़रिए सफलता की एक नई कहानी लिखी है। रौशन न केवल एक उद्यमी के रूप में बढ़ रहे है, बल्कि उन्होंने अपने शैक्षणिक जीवन में भी उत्कृष्टता हासिल की है। बचपन से ही वे अपने स्कूल के टॉपर रहे हैं और अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने अपने गाँव से लेकर देशभर में अपनी पहचान बनाई है।
▼ शैक्षणिक सफलता से उद्यमिता की ओर
रौशन कुमार ने बिहार के मोतिहारी कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इस दौरान कॉलेज की पृष्ठभूमि ने उनके उद्यमी सोच को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पढ़ाई के दौरान वे हमेशा अपने साथियों से एक कदम आगे रहते थे और शिक्षा के क्षेत्र में उनकी प्रतिभा ने उन्हें कई पुरस्कारों से भी नवाजा। रौशन ने न केवल अपनी पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, बल्कि उन्होंने अपने ज्ञान को व्यावहारिक रूप में भी बदलने का प्रयास किया। अपनी स्नातक की डिग्री के दौरान उन्होंने देखा कि शहरी क्षेत्रों की दीवारों का या तो इस्तेमाल नहीं हो रहा था या अनियमित विज्ञापनों से भरी हुई थीं। यहीं से उन्हें यह विचार आया कि क्यों न दीवारों के विज्ञापन को एक संगठित और लाभदायक माध्यम बनाया जाए?
जहां से उन्होनें ने deWall Ads की शुरुआत की।
▼ deWall Ads की शुरुआत
deWall Ads एक ऐसी विज्ञापन एजेंसी है जो दीवारों पर विज्ञापन पेंट कराने की सुविधा देती है। लेकिन यह केवल एक साधारण विज्ञापन एजेंसी नहीं है; यह एक अनोखा मंच है जो विज्ञापनदाताओं को सीधा दीवार मालिकों से जोड़ता है। इसकी अवधारणा सरल लेकिन प्रभावी है: लोग अपने घरों या व्यवसायों की दीवारों की तस्वीरें deWall Ads ऐप पर अपलोड करते हैं, और विज्ञापनदाता deWall Ads app पर उनके द्वारा दी गई दीवार का अवलोकन करते हैं और अगर उन्हें स्थान पसंद आता है, तो वे दीवार मालिक से सीधा संपर्क कर सकते हैं। विज्ञापनदाता उन दीवारों का उपयोग अपने विज्ञापनों के लिए करते हैं, जिसके लिए वे दीवार मालिकों को हर महिने के हिसाब से पैसे भुगतान करते हैं। इस प्रकार यह विज्ञापनदाता और दीवार मालिक दोनों के लिए एक फायदे का सौदा है। रौशन का यह विचार दीवारों को विज्ञापन माध्यम के रूप में इस्तेमाल करके एक नए तरीके से ब्रांड्स को ग्राहकों तक पहुँचाने का है। यह विचार रौशन के दूरदर्शी दृष्टिकोण और बाजार की गहरी समझ को दर्शाता है।
इंजीनियरिंग के प्रति उनके रुझान के बावजूद, उनका व्यवसाय और मार्केटिंग के प्रति जुनून उन्हें इस नए क्षेत्र में ले आया। उनके इस स्टार्टअप आइडिया को अब तक ₹25 लाख की फंडिंग भी मिल चुकी है, जो उनके विचार की ताकत और उनके उद्यम की संभावनाओं को दर्शाती है।
▼ वैज्ञानिकों से मुलाकात और पुरस्कारों की कहानी
रौशन कुमार का जीवन केवल शिक्षा और उद्यमिता तक सीमित नहीं रहा। अपने शैक्षणिक सफर के दौरान उन्होंने कई वैज्ञानिकों से मुलाकात की और उनसे प्रेरणा ली। उनकी कड़ी मेहनत और नवाचार के प्रति झुकाव ने उन्हें कई पुरस्कार दिलवाए। ये पुरस्कार उनके जीवन में मील के पत्थर साबित हुए और उन्होंने हमेशा उच्च लक्ष्य रखने का आत्मविश्वास बढ़ाया।
▼ बिहार से एक नई शुरुआत
रौशन कुमार की कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो छोटे शहरों या ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हुए भी बड़े सपने देखते हैं। रौशन ने यह साबित कर दिया कि जब तक आप मेहनत और सही दिशा में आगे बढ़ते हैं, तब तक संसाधनों की कमी आपको रोक नहीं सकती। उनकी सफलता का श्रेय उनकी जिज्ञासा, समर्पण और समाज के लिए कुछ अलग करने की सोच को जाता है। Find more: https://bio.link/thatraushan